Thursday 4 September 2014

जीवन में शिक्षा का महत्व happy teacher's day

जीवन में शिक्षा का महत्व



जीवन एक पाठशाला है। जिसमें अनुभवों के आधार पर हम शिक्षा पाते हैं। शिक्षा का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा हमारी समृद्धि में आभूषण, विपत्ति में शरण स्थान और समस्त कालों में आनंद स्थान होती है। जीवन लक्ष्य की पूर्ती के लिए शिक्षा आवश्यक है। महान दार्शनिक एवं शिक्षाविद् डॉ. राधाकृष्णन भी मनुष्य को सही अर्थों में मनुष्य बनाने के लिए शिक्षा को सर्वाधिक आवश्यक मानते थे। उनके अनुसार- शिक्षा वह है, जो मनुष्य को ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ उसके ह्रदय एवं आत्मा का विकास करती है। शिक्षा व्यक्ति को स्वंय के विकास के साथ-साथ समाज और राष्ट्र के विकास के लिए भी प्रेरित करती है। महामहीम सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार से शिक्षा का माध्यम मातृभाषा में होना चाहिए क्योंकि विदेशी भाषा में भारतीय मौलिक चिंतन नही कर सकते।
शिक्षा के महत्व को परिलाक्षित करते हुए स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि, जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों का सामजस्य कर सकें यर्थाथ में यही वास्तविक शिक्षा होगी। स्वामी जी भारत में ऐसी शिक्षा चाहते थे, जिसमें उसके अपने आदर्शवाद के साथ पाश्चात्य कुशलता का सामंजस्य हो। उनका कहना था कि लोगों को आत्मनिर्भर बनना अति आवश्यक है वरना सारे संसार की दौलत से भी भारत के एक गाँव की सहायता नही  की जा सकती। अतः नैतिक तथा बौद्धिक, दोनों ही प्रकार की शिक्षा प्रदान करना देश व समाज का पहला कार्य होना चाहिए।
ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि, आज जिस तरह का वातावरण चारो तरफ व्याप्त है ऐसे में ऐसी शिक्षा ही आवश्यक है जिससे बच्चों का चरित्र-निर्माण हो सके, उनकी मानसिक शक्ति बढे, बुद्धि विकसित हो और देश के युवक अपने पैरों पर खङा होना सीखें। भौतिकवादी स्वार्थपरक सोच के फैलते प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक है कि स्कुली शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी नींव मजबूत की जाए।
शिक्षक दिवस के पावन दिन पर सार्थक शिक्षा को आत्मसात करते हुए खुद से वादा करें कि जो शिक्षा मनुष्य को सही अर्थों में मनुष्य बना सके ऐसी मूल्यवान शिक्षा की अलख हम विपरीत वातावरण में भी जलाए रखेंगे। इसी प्रण के साथ आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई।

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