Thursday 4 September 2014

ब्रेक तो बनता है

ब्रेक तो बनता है


आज की भागम भाग जिंदगी में, दफ्तर से घर – घर से दफ्तर के चक्कर में हम कहीं खो गये हैं। हम सभी अपनी – अपनी जिमेदारियों में व्यस्त हैं। सबकी पसंद नापसंद का ख्याल रखते हुए अक्सर खुद को भूल जाते हैं। सब कुछ फिट रखने के चक्कर में  खुद को सबसे ज्यादा अनफिट रखते हैं। रूटीन लाइफ जीते – जीते चाहे वो कितनी ही अच्छी क्यों न हो एकरसता आ ही जाती है। जिसका असर जिंदगी पर पङता है। झुझलाहट, चिङचिङापन, बात – बात पर गुस्सा आना कब हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं, हमें पता ही नही चलता। दरअसल रूटीन को ब्रेक करना जरूरी है। अगर हम प्रकृति को देखें तो वो हमें कितनी खूबसूरती से संदेश देती है। कोई भी मौसम स्थाई होकर नही आता। हम हैं कि एक ही तरह से जिये जाते हैं। मानते हैं दोस्तों Office जाना  जरूरी है, घर के काम भी जरूरी हैं। पर हफ्ते में एक दिन तो देर तक सोया जा सकता है, बच्चों के साथ अपने बचपन को याद करके क्रिक्रेट या फुटबॉल तो खेला जा सकता है।Routine Break तो बनता है। क्यूं न हम कुछ पलों के लिय के वो करें जो हमें सबसे ज्यादा अच्छा लगता था लेकिन किन्ही कारणों से नही कर पाये जैसे—Dancing, Swimming, Singing, Painting Etc. हफ्ते में एक बार कुछ अपने मन का करके देखिये यकीन मानो मित्रों आप आगे के लिये अधिक ऊर्जावान (Energetic)महसूस करेंगे। एक कहानी सुनाते हैं—एक बार एक ठेकेदार कुछ लकङहारों को जंगल में लकङी काटने के लिये ले गया। उसने लकङहारों से कहा कि तीन दिन में जो सबसे ज्यादा लकङी काटेगा उसे सबसे ज्यादा पैसा मिलेगा एवं एक बाइक भी ईनाम में मिलेगी। फिर क्या सारे लकङहारे लकङी काटने में जुट गये। उनमें सोहन नाम का एक लकङहारा लकङी काटने के बीच मे कुछ ब्रेक लेता इसको देख बाकी लकङहारे हँसते किन्तु सोहन अपने हिसाब से काम करता। तीन दिन पूरे हो जाने पर ठेकेदार ने देखा सोहन ने सबसे ज्यादा लकङी काटी। ऐसा कैसे हो गया ? उसने तो लगातार काम भी नही किया था। मित्रों, सोहन आराम के समय अपनी कुल्हाङी पर धार किया करता था जिससे वो अधिक लकङी काट सका। बाकी लकङहारों की कुल्हाङी में लगातार काम करने से धार कम हो गई थी।

दोस्तों हमें भी अपने अंदर की ऊर्जा (energy) को  बीच-बीच में Recharge करना चाहिये तभी हम बेहतर performance दे सकेगें। जब हम खुश रहेंगे तभी अपनो को भी खुश रख सकेंगे।

आइनसटाइन जब कभी प्रयोग में असफल हो जाते या अन्य किसी कारण से तनावग्रस्त होते उसी समय वायलन बजाने बैठ जाते। वायलन बजाने में इतने मगन हो जाते कि सारे तनाव भूल जाते। उसके बाद नई ऊर्जा से नऐ प्रयोग में जुट जाते। मित्रों संगीत में बङी ताकत होती है। संगीत मृतप्राय व्यक्तियों में प्रांण फूंक सकता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार रेडियो सुनने से लोगों का खुशी का स्तर 100 प्रतिशत और एनर्जी लेवल 300 प्रतिशत रहता है। Energetic  होने के लिये रूटीन ब्रेक तो बनता है।

माध्यम कोई हो किसी को outing पसंद है तो किसी को फिल्म देखना। हमें बच्चों के साथ 7stone (सितौलिया) खेलना और light music सुनना बहुत पसंद है। मित्रों, वक्त की शाख से टूट रहे लम्हों को  समेंट ले, ताकी मुस्कुरा उठे जिंदगी, याद करें बचपन को और कॉलेज के मस्ती भरे लम्हों को। अपने अंदर के बच्चे को वापस जिंदा करें जो जिम्मेदारियों में कब बङा हो गया पता ही न चला।Friends बचकाना सा ब्रेक तो बनता है।      

No comments:

Post a Comment