Thursday 4 September 2014

उच्च कोटी के वक्ता (अटल बिहारी वाजपेयी)

उच्च कोटी के वक्ता (अटल बिहारी वाजपेयी)



राष्ट्र के उच्चकोटी के वक्ता, जिनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है। पद्मविभूषण जैसी बङी उपाधी से अलंकृत अटल जी भारत के प्रधानमंत्री पद को दो बार सुशोभित कर चुके हैं। भारत में ही नही अपितु अन्य देशों में भी अनेक लोग उनकी ओजस्वी और तेजस्वी शैली में रची कविताओं और भाषणों के कायल हैं।

व्यंग्य विनोद की फुहारों के साथ उनके भाषण जन-जन में प्रिय हैं। अटल जी अपने भाषणों के माध्यम से जन-जन में देशप्रेम की अलख जगाने वाले राजनीतिज्ञ नही वरन् सच्चे देशभक्त कवि और साहित्यकार हैं। उनकी इंसानियत कवि मन की कायल है। नैतिकता के प्रतीक अटल जी के भाषण से संबन्धित कुछ प्रसंग आप सभी से सांझा(Share) कर रहे हैं।
अटल जी के अनुसार उन्होने अपना पहला भांषण पाँचवी कक्षा में आयोजित एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में बोला था। जहाँ अटक-अटक कर बोलने की वजह से उनकी बहुत हँसाई हुई थी। दरअसल तब वे अपना भाषंण रट कर गये थे। दृणसंक्लप अटल जी ने तभी ये निश्चय किया कि अब कभी भी रटकर भांषण नही बोलेगें। उनकी दृणसंक्लपता का ही परिणाम है कि उनके भाषणों को सुनने दूर-दूर से लोग आते हैं।

एक बार इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन था। अटल जी एवं रघुनाथ सिंह इस प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे थे। परन्तु ट्रेन लेट हो जाने की वजह से वो लोग, प्रतियोगिता समाप्त होने पर वहाँ पहुँचे। उस समय निर्णायक मंडल निर्णय तैयार कर रहे थे। परेशान हुए बिना अटल जी ने ट्रेन लेट होने की बात अध्यक्ष महोदय को बताई, महोदय ने उन्हे बोलने की इजाजत दे दी। अटल जी ने अपनी परिमार्जित और काव्यात्मक शैली में ऐसा उत्कृष्ट भाषण दिया कि उन्हे सर्वप्रथम वक्ता होने का पुरस्कार प्राप्त हुआ। उस निर्णायक मंडल में डॉ. हरिवंश बच्चन जी भी थे।

अटल जी की वाकपटुता का एक और प्रसंग है। एक बार वाद-विवाद का विषय था, हिन्दी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए। अटल जी पक्ष के वक्ता थे और उनका जोङीदार विपक्ष का जिसे हिन्दी की जगह हिन्दुस्तानी का पक्ष लेना था। परन्तु ऐन वक्त पर उनके जोङीदार ने कहा कि, अटल में तो पक्ष में बोलने की तैयारी करके आया हुँ। विचलित हुए बिना अटल जी ने कहा कोई बात नही, आप पक्ष में बोल दीजीए। अटल जी बिना किसी तैयारी के प्रतिपक्ष के विषय पर बोले। उनके आत्मविश्वास का आलम ये था कि वे उस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान से पुरस्कृत हुए।

अपनी अद्भुत भाषा शैली से उन्होने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म,पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन करते हुए जन-मानस में देशभक्ती का शंखनाद किया। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, भाषा शैली पर उनकी मजबूत पकङ है। अपने विचारों को प्रभावशाली शब्दो में अभिव्यक्त करने की प्रतिभा के धनी अटल जी को उनके आने वाले जन्मदिन (25 दिसम्बर) पर अभिनंदन और वंदन करते हैं। ईश्वर से अटल जी की स्वस्थ दीर्घायु की कामना करते हैं।

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