बेटी है तो कल है
वर्ष 1991 मे हुई जनगणना से लिंग-अनुपात की बिगड़ती प्रवृत्ति को देखते हुए, कई राज्यों ने बेटीयों के हित के लिये योजनाएं शुरू की। जैसे कि- – मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री ‘कन्यादान योजना एवं लाडली लक्ष्मी योजना’, भारत सरकार द्वारा ‘धन लक्ष्मी योजना’, आंध्र प्रदेश द्वारा ‘बालिका संरक्षण योजना’, हिमाचल प्रदेश ने ‘बेटी है अनमोल’योजना शुरू की तो पंजाब में बेटियों के लिए ‘रक्षक योजना’ की शुरूवात की गई। ऐसी और भी योजनाएं अन्य राज्यों में चलाई जा रही है। बेशक आज बेटियों के हित में अनेक योजनाएं चलाईं जा रही हैं, किंतु भारतीय परिवेश में बेटियों के प्रति विपरीत सामाजिक मनोवृत्तियों ने बच्चियों के लिए असुरक्षित और असुविधाजनक माहौल का ही निर्माण किया है। योजनाएं तो बन जाती हैं परन्तु उनका क्रियान्वन जागरुकता के अभाव में सिर्फ कागजी पन्नो में ही सिमट कर रह जाता है। बेटीयों का अस्तित्व, शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास, सुरक्षा और कल्याण, समाज में व्याप्त रुढीवादिता और संकीर्ण सोच की बली चढ जाता है।
No comments:
Post a Comment