गणेंश चतुर्थी के पावन पर्व पर हार्दिक बधाई
बुद्धिदाता, विघ्नहर्ता भगवान गणेश के हर एक नाम में अपने भक्तों का उद्धार छुपा हुआ है। शारीरिक संरचना में भी विशिष्ट व गहरा अर्थ निहित है। शिवमानस में श्री गणेश को ओमकार: (ॐ) कहा गया है। इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूँड है। गौरीसुत, महागणपति सारे ब्रह्मांड के भगवान हैं।सभी शुभ कार्य के देव प्रथमेश्वर सफलता के स्वामी हैं। देवों के देव वक्रतुण्ड ज्ञान के दाता हैं। बाधाओं को हरने वाले, सभी बुराइयों और पापों पर विजय प्राप्त करने वाले सिद्दिविनायक को कोटी-कोटी प्रणाम है।
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