Friday 5 September 2014

शिक्षक दिवस पर कहानी

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माधवराव पेशवा अपने जन्मदिन पर दान कर रहे थे। अन्न, वस्त्र, स्वर्ण आदि का भारी मात्रा में दान किया जा रहा था। 

पंक्ति में खड़े एक बालक ने उनके सामने आने पर यह दान लेने से इंकार कर दिया। चौंकते हुए पेशवा ने उस बालक से जानना चाहा- 'क्यों भाई! आखिर तुम किस प्रकार का दान चाहते हो?'

गंभीर मुद्रा बनाकर उसने कहा- 'पेशवा साहब! इन नश्वर पदार्थों के दान की बजाए आप मुझे शाश्वत दान प्रदान करने की कृपा करें।'

'अपना आशय स्पष्ट करो वत्स!' पेशवा आश्चर्यचकित थे, 'शाश्वत दान से तुम्हारा अभिप्राय?' पेशवा ने बड़े ही स्नेह से पूछा।

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'शाश्वत दान है विद्या। अतः मुझे विद्या दान की आकांक्षा है।' 

पेशवा ने उस बालक की बात से प्रभावित होते हुए उसे अध्ययन हेतु काशी भेज दिया। उन्होंने राजकर्मचारियों को इस हेतु प्रबंध के निर्देश दे दिए। 

बच्चो! शाश्वत दान पाने वाला यह बालक आगे चलकर प्रसिद्ध न्यायाधीश रामशास्त्री बना। 

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